संवाद प्लस।
लोकेंद्र शर्मा की कलम से
8 अगस्त को धार्मिक स्थल खाटू धाम में घटित घटना के बाद से ही सरकार व प्रशासन सचेत दिखाई दे रहे हैं इस क्रम में पिछले दिनों मंदिर को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है खाटू में रास्तों की चौड़ाई के लिए स्थानीय प्रशासन व सीकर प्रशासन ने कमर कस रखी है।
अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं या कुछ लोग स्वयं हटाते देखे जा रहे हैं इसी क्रम में मंदिर प्रबंधन भी यात्रियों की सुविधा व सुलभ दर्शन हेतु मंदिर विस्तार के कार्य में गंभीरता दिखा रहा है।
ऐसे में अब खाटू में कुछ लोग लामबंद होते भी दिखाई दे रहे हैं यात्रियों एवं ग्राम वासियों द्वारा जयपुर में वैधानिक व सरकारी हस्तक्षेप के लिए चक्कर लगाए जा रहे हैं जो लोग मंदिर प्रबंधन के कार्य से संतुष्ट नहीं है वे लोग मंदिर प्रबंधन हेतु एक रिसीवर की नियुक्ति की पुरजोर मांग कर रहे हैं इस संदर्भ में नवंबर 2000 में मंदिर खाटू श्याम जी के लिए एक निगरानी समिति का गठन किए जाने हेतु प्रस्ताव का हवाला दिया जा रहा है ।
पिछले 20 वर्षों में बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या से जहां होटल धर्मशालाएं आदि तो बढ़ गए लेकिन ना मंदिर बढ़ा हुआ ना रास्ते।
समय समय पर जिन भी आपत्तियों शिकायतों की जांच हुई सभी में रिसीवर नियुक्ति या प्रबंध समिति की मांग को प्रधानता दी गई व अनुशंसा की गई ।
सूत्रों के अनुसार ऐसे में जल्द ही प्रबंध समिति/रिसीवर नियुक्त की मांग पर मोहर लग सकती है प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार कर रही है संभवतया रिसीवर नियुक्ति या प्रबंध समिति की मांग के साथ साथ मंदिर शिखर से चारों और प्रकार घुमा कर मंदिर निर्माण की मांग पर भी धरातल पर कुछ दिखाई दे।
देवस्थानों की पत्रकारिता पर मेरा अनुभव कहता है की धारा 53 के तहत प्रबंध समिति का गठन जल्द ही किया जा सकता है जिसकी अधिसूचना भी शीघ्र ही प्रकाशित किए जाने की संभावना है!
राजस्थान जिला टोंक में स्थित मंदिर श्री डिग्गी कल्याण जी में लिए गए निर्णय को भी यहां के निर्णय से आधार बनाया जा सकता है जिसमें पंजीयन निर्णय दिनांक 25. 5.1975 को इस ट्रस्ट में 14 प्रत्याशियों का उल्लेख दिखाया गया है जिसमें से 4 सदस्य राज्य सरकार द्वारा नामजद व पदेन अध्यक्ष उपखंड अधिकारी मालपुरा मनोनीत किए जाते हैं इस तरह इस ट्रस्ट का संचालन व प्रबंध किया जाता है।
खाटू में भी इसी तरह की व्यवस्था को अंतिम रूप दिए जाने की सम्भवना है।