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संवाद प्लस न्यूज़ नेटवर्क

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राजस्थान का एक प्राचीन एवं प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, जिसकी शताब्दियों से लोक में बहुत मान्यता है यह शक्तिपीठ जयपुर से लगभग 45 कि. मी. पश्चिम में ढूंढाड़ अंचल के प्राचीन कस्बे जोबनेर में अवस्थित है ।

जोबनेर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व का एक प्राचीन नगर है । वर्तमान में यह कस्बा यहाँ के अंतिम यशस्वी शासक और इतिहासकार रावल नरेन्द्र सिंह द्वारा संस्थापित श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि महाविद्यालय के कारण कृषि शिक्षा के केन्द्र के रूप में विख्यात है।

जोबनेर अरावली पर्वतमाला के जिस विशाल पर्वत शिखर की गोद में बसा है, उसकी पर्वतीय ढलान पर पहाड़ के बीचों बीच उसके ह्रदय स्थल पर ज्वालामाता का भव्य मन्दिर बना है जो दूर से ही दिखाई दे जाता है ।

ज्वालामाता जोबनेर नगर की अधिष्ठात्री देवी है।

ज्वालामाता के इस प्राचीन एवं प्रसिद्ध शक्तिपीठ की लोक में बहुत मान्यता है । पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने सती के शव को कंधे पर उठाकर ताण्डव नृत्य किया था । उस समय सती का शरीर छिन्न-भिन्न होकर उनके अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे जो, शक्तिपीठ बने । जोबनेर पर्वत पर उसका जानु-भाग (घुटना) गिरा, जिसे उसका प्रतीक मानकर ज्वालामाता या जालपा देवी के नाम से पूजा जाने लगा।

जोबनेर के इस पर्वतशिखर पर जहाँ ज्वालामाता का मन्दिर है, उसके ऊपरी भाग पर इस क्षेत्र के चौहान शासकों द्वारा निर्मित प्राचीन दुर्ग के भग्नावशेष आज भी विद्यमान है।

ज्वालामाता का यह शक्तिपीठ बहुत प्राचीन तो है ही, साथ ही लोक में इसका अतिशय माहात्म्य है।
प्रतिवर्ष नवरात्र में (विशेषतः चैत्र मास में) यहाँ एक विशाल मेला भरता है, जिसमें दूर-दूर से तीर्थयात्री एवं श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं।

ज्वालामाता के इस शक्तिपीठ का मध्ययुगीन साहित्य में भी बहुत उल्लेख मिलता है, जिससे पता चलता है कि इस पीठ की एक चमत्कारिक शक्तिपीठ के रूप में बहुत मान्यता रही है।

मधुमक्खियों का एक विशाल झुण्ड आक्रान्ता पर टूट पड़ा

जनश्रुति है कि अजमेर के शाही सेनापति मुहम्मद मुराद (लालवेग) ने 1641 ई. के लगभग जब यहाँ के शासक जैतसिंह के शासनकाल में जोबनेर पर आक्रमण किया तब जोबनेर पर्वतांचल से मधुमक्खियों का एक विशाल झुण्ड आक्रान्ता पर टूट पड़ा तथा इस तरह देवी ने प्रत्यक्ष रूप में सहायता कर जैतसिंह को विजय दिलाई इस युद्ध में आक्रान्ता से छीनी हुई नोबत ज्वालामाता के मन्दिर में आज भी विद्यमान है।
ज्वाला माता जोबनेर राजस्थान के धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


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