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जिस देश की संस्कृति प्रार्थना समपर्ण में प्रकृति का महत्वपूर्ण स्थान हो जिस सनातन धर्म ने ईश्वर की पूजा व साक्षात दर्शनों के लिए वृक्ष नदी तालाब पहाड़ आदि का मार्ग दिखाया हो उस धर्म को अपनाने वाले घरों में आज कई लोग ऐसे है जो कई कई दिनों तक पेड़-पौधों को छुए बगैर जीवन जी रहे है…इसलिए लोग हो रहे है मानसिक पीड़ित-अशांत मन से ग्रसित !

इसे कहते है प्लांट ब्लाइंडनेस…. ये पौधों के प्रति बेरुखी है
शहरी जीवन की व्यस्त दिनचर्या के चलते लोग कई-कई दिनों तक पेड़ों को बिना छुए जीवन जी रहे हैं। नतीजतन वे पौधों के प्रति कम संवेदनशील होते जा रहे हैं, अनदेखा कर रहे हैं। ब्रिटेन की एक्सटर यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में सामने आया कि पौधों से संबंधित हर गतिविधियों से सभी उम्र के लोग धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं। इसे प्लांट ब्लाइंडनेस नाम दिया गया है।

कई दिन बीत जाते हैं जब लोगों ने किसी पौधे की टहनी को छुआ होगा या फिर किसी पेड़ की पत्तियों

को गौर से देखा होगा। कई लोग तो पेड़-पौधों को इसलिए नहीं समझ पाते क्योंकि उन्होंने कभी हरे-भरे इलाकों में थोड़ा समय नहीं बताया होता। हालांकि, जो लोग पेड़-पौधों पर सीधे तौर पर निर्भर होते हैं या

लगातार उनके संपर्क में रहते हैं वे इसे बेहतर ढंग से जान पाते हैं। खासकर ग्रामीण समुदायों के लोग। उन्हें पेड़-पौधों के बारे में ज्यादा रुचि और जानकारी भी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे फसल के
लिए पौधों पर निर्भर होते हैं। शहर में लोग पेड़-पौधों पर कम निर्भर होते हैं। इस वजह से वे प्लांट ब्लाइंडनेस के शिकार हो जाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार शहरीकरण और आधुनिकीकरण की वजह से लोगों की प्लांट नॉलेज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, पेड़-पौधों के बीच जाकर और जंगल-बगीचों में समय बिताकर प्लांट ब्लाइंडनेस को कम किया जा सकता है। प्लांट्स पीपुल प्लैनेट में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि लोगों को पौधों के दवा और औद्योगिक उपयोग में होने वाले सीधे फायदों से रु बरु कराना होगा।

पेड़-पौधे से ज्यादा जानवरों पर आसानी से ध्यान देते हैं लोग

शोध में आम व्यक्ति को जंगल का फोटो दिखाया गया। इसमें जानवर और पेड़-पौधे दोनों थे। उनसे पूछा गया कि फोटो में क्या दिखा। लोगों ने जानवर के बारे में बताया लेकिन पेड़-पौधों को नजरअंदाज कर दिया। यह भी प्लांट ब्लाइंडनेस है।

ये करें

वर्ष में एक वृक्ष अवश्य लगाएं…घर के पौधों में नियमित जल दें…पुष्पों की देखभाल करें…जल खाद बीज का प्रबंध करें…वृक्षों पर परिंडे बांधें आदि


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