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रिफाइंड तेल के सेवन से बचें और तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल के शुद्ध तेल का प्रयोग करें।

संवाद प्लस।

आपको जानकर हैरानी होगी कि साधारण तेल को रिफाइंड तेल बनाने के लिए 6-7 और डबल रिफाइंड बनाने के लिए 12-13 रसायनों का उपयोग किया जाता है। इस लिए रिफाइंड तेल के सेवन से बचें और तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल के शुद्ध तेल का प्रयोग करें।

गंध है अहम घटक
हो सकता है कि शुद्ध तेल में से आपको गंध आए और चिपचिपा भी लगे। लेकिन उसका यही चिपचिपापन, तेल का महत्वपूर्ण घटक होता है। जब तेल में से इस चिपचिपेपन को निकाल दिया जाता है तो वह तेल ही नहीं रहता। इसी तरह तेल की गंध उसका प्रोटीन कंटेंट होती है।

रिफाइंड तेल देता बीमारी !

दालों के बाद सबसे ज्यादा प्रोटीन तेल में ही होता है। तेल की गंध निकालने पर उसमें से फैटी एसिड की मात्रा भी निकल जाएगी। चिपचिपापन और गंध निकाल देने से तेल महज पानी रह जाता है जो जहर से कम नहीं होता। रिफाइंड तेल खाने से घुटने व कमरदर्द, हृदयाघात, पैरालिसिस, ब्रेन डैमेज और हड्डियों का दर्द हो सकता है। वहीं शुद्ध तेल हृदय रोगों की आशंका को कम करता है।

शोधों में हुआ साबित
कई शोधों के अनुसार खानपान की चीजों को रिफाइंड करने पर उनमें से पौष्टिक तत्व नष्ट होते हैं। इसलिए तेल को शुद्ध रूप में प्रयोग करना उचित रहता है।


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