●मोदी सरकार ने रामायण सर्किट योजना को शुरू करने का किया ऐलान
●सरयू तट पर भगवान राम की ढाई सौ मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने की तैयारी
रामायण सर्किट पर होगा तेजी से काम
दो साल पहले मोदी सरकार ने महत्वाकांक्षी रामायण सर्किट योजना को शुरू करने का ऐलान किया था. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश में उन सभी स्थानों को जोड़ना है, जहां-जहां भगवान राम गए थे और जो रामायण से जुड़ी पौराणिक कथाओं की वजह से प्रसिद्ध हैं. स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन मंत्रालय की ओर से जो 13 थीम आधारित पर्यटन सर्किट्स विकसित किए जाने हैं, उनमें से रामायण सर्किट एक है।
रामायण सर्किट प्रोजेक्ट में देश के 9 राज्यों के 15 स्थान आते हैं.
- अयोध्या, श्रृंगवेरपुर और चित्रकूट (उत्तर प्रदेश)
- सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा (बिहार)
- चित्रकूट (मध्य प्रदेश)
- जगदलपुर (छत्तीसगढ़)
- नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल)
- महेंद्रगिरी (ओडिशा)
- भद्राचलम (तेलंगाना)
- रामेश्वरम (तमिलनाडु)
- हम्पी (कर्नाटक)
- नासिक और नागपुर (महाराष्ट्र)
इन सभी शहरों को रेल, सड़क और हवाई यात्रा तीनों तरह के संपर्क से आपस में जोड़ा जाएगा. यहां रेलवे कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा. अगर इन शहरों में एयरपोर्ट नहीं हैं तो नए बनाए जाएंगे. इनमें से जो भी शहर राष्ट्रीय राजमार्गों से नहीं जुड़े हैं, उनसे जोड़ा जाएगा. पूरा प्रयास है कि इस सर्किट की यात्रा करने वाले पर्यटकों को विश्व स्तरीय सुविधाएं मिलें और उनका सफर सुगम बनाया जा सके. प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी पूरा किए जाने पर सरकार का जोर है।
निकट भविष्य में रामायण सर्किट का दायरा देश की सीमा के बाहर नेपाल के जनकपुर और श्रीलंका तक बढ़ाया जाएगा. वैसे दो साल पहले मई 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के जनकपुर के जानकी मंदिर में जाकर सीता माता की पूजा की थी. उसके बाद उन्होंने जनकपुर और अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा की शुरुआत की थी. प्रधानमंत्री ने उस वक्त रामायण सर्किट का नाम भी लिया था. जनकपुर और अयोध्या के बीच 493 किलोमीटर की दूरी है।