केंद्र सरकार का कौशल विकास मंत्रालय पुजारियों और कर्मकांड से जुड़े व्यक्तियों को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार से जोड़ने की योजना तैयार कर चुका है। शीघ्र ही देशभर में 1.72 लाख पुजारियों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य तय किया गया है।
खास बात यह है कि पहली बार विश्व हिंदू परिषद जैसी धार्मिक संस्थाओं को भी केंद्र सरकार प्रशिक्षण की योजना से जुड़ने जा रही है। ये संस्थाएं प्रशिक्षण से जुड़ी जरूरतों को पूरा करेंगी। इसके लिए केंद्र सरकार इन्हें भुगतान करेगी। ट्रेनिंग प्रोग्राम पर कितनी रकम खर्च होगी, इस बारे में अभी कोई भी अफसर कुछ कहने की स्थिति में भी नहीं है।
पुजारियों के प्रशिक्षण के लिए देशभर में रजिस्ट्रेशन शुरू किए जा चुके हैं। कौशल विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में 2200, गुजरात में 632, छत्तीसगढ़ में 209 और बिहार में 1400 लोगों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। सबसे अधिक 56 हजार रजिस्ट्रेशन तमिलनाडु में किए गए हैं।
अंग्रेजी अनुवाद भी सिखाया जाएगा
दक्षिण भारत में पुजारियों की ट्रेनिंग के कोर्स की अवधि 6 महीने तय की गई है, जबकि अन्य जगहों पर 3 से 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसकी वजह यह है कि पूजापाठ, कर्मकांड आदि में पढ़े जाने वाले श्लोकों और मंत्रों का अंग्रेजी व हिंदी अनुवाद भी सिखाया जाना है।
चूंकि हिंदी भाषी क्षेत्र में हिंदी अनुवाद सीखने की जरूरत नहीं होगी, इसलिए इन इलाकों में कोर्स 3 महीने का होगा। वहीं दूसरी ओर, तमिलनाडु, तेलंगाना समेत दक्षिण के अन्य राज्यों में हिंदी अनुवाद सिखाने के लिए 3 महीने का अतिरिक्त समय तय किया गया है।
प्रशिक्षण के विषयों में ऑनलाइन पूजा भी शामिल है। इसके लिए एक हफ्ते का कोर्स होगा। मंत्रालय का मानना है कि आने वाले समय में ऑनलाइन पूजा कराने का चलन तेजी से बढ़ेगा, इसलिए पुजारियों को इसके लिए पहले से तैयार करना जरूरी है। ट्रेनिंग की तारीखें अभी घोषित नहीं हुई हैं।
पुजारियों का वर्गीकरण- पद्धति के अनुसार तय होंगे ट्रेनिंग के कोर्स
¶ गृहपूजा, शादी, मुंडन, श्राद्ध जैसे संस्कार के लिए मंत्र, पूजा पद्धति और उनके क्रम।
¶ पितृ पक्ष में तर्पण जैसे कर्मकांड
¶ गरुड़ पुराण और सत्यनारायण कथा का विधिवत पाठ और पूजा।
¶ ज्योतिष गणना और ग्रह-नक्षत्रों के बारे में संपूर्ण जानकारी।
¶ राज्य और क्षेत्र के हिसाब से संस्कारों का प्रशिक्षण।
प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वेबसाइट से जुड़ेंगे
पुजारियों को प्रशिक्षण के बाद एक सर्टिफिकेट मिलेगा। इसकी पूरी जानकारी कॉमन वेबसाइट पर दर्ज होगी। ट्रेनिंग देने वाली संस्थाएं पुजारियों को विभिन्न वर्गों में बांटकर (पाठ कराने वाले, कर्मकांड कराने वाले, पूजा कराने वाले आदि) क्लस्टर बनाने में सरकार की मदद करेंगी। इससे लोगों को इनकी सेवाएं लेने में आसानी होगी। इससे न तो पुजारियों की कमी होगी, न ही उन्हें काम मिलने की चिंता रहेगी।