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संवाद प्लस। जब भी व्यक्ति किसी सुख दुःख की घड़ी से गुजरता है उसे अपने ठाकुर की याद अवश्य आती है ऐसे में वो याचक बन कर अपने इष्ट या आराध्य की तरफ रुख अवश्य करता है इसी क्रम में आजकल राजस्थान के कुछ धार्मिक स्थल ऐसे भी है जहां युवा यात्री भी बड़ी तादात में लग्जरी कारों से पहुंच रहे है ऐसे में वहां पार्किंग की समस्या गहराती जा रही है। जिस होटल धर्मशालाओं में यात्री रुकना चाहते है वहां तक गाड़ी ले जाना बहुत ही मुश्किल सा हो गया है। ऐसे में गाड़ी प्राइवेट या अधिकृत पार्किंग में मुहं मांगे दामों पर खड़ी करनी पड़ती है। यात्री के लिए पार्किंग शुल्क भी कोई बड़ी समस्या नहीं है समस्या तो तब है जब उसकी स्टेपनी या टायर बदले हुए मिलते है…ऐसा उन गाड़ियों के साथ ज्यादा हो रहा है जिनके पास ड्राइवर नहीं है और जो अपनी गाड़ी इन पार्किंग वालों के भरोसे ही छोड़ देते है। देवस्थान पर रात को रुकने वाले यात्री तो इससे पीड़ित है ही वो लोग भी पीड़ित है जो पार्किंग में कुछ घंटे के लिए गाड़ी लगाते है और दर्शन के बाद चले जाते है। हद तो तब हुई जब एक यात्री नई गाड़ी लेकर आया और वापसी में 100 km दूरी के पर चाय की दुकान पर रुकने के बाद अनायास ही उसकी नजर अपनी गाड़ी के टायर पर गई… ये सब देख वो हक्का बक्का रह गया। वापस जाए तो शिकायत किससे करे जैसे प्रश्न के साथ अंतिम सत्य टायर चोरी हो जाने की बात स्वीकारने के अलावा और कुछ नहीं रहा।
ऐसे में यात्रियों द्वारा स्थानीय प्रशासन से इसका स्थाई समाधान की मांग की जा रही है।


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