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मर्यादा रखी ताक पर,जब जिम्मेदार लोग ही धर्म के विपरीत कर रहे है आचरण तब दर्शनार्थियों से मर्यादित आचरण की आशा कैसे की जा सकती है !

संवाद प्लस।

ये कैसी मर्यादा है ये कैसा चलन है ?

राजस्थान के कुछ बड़े मंदिरों में पिछले कई वर्षों से देखा जा रहा है कि कुछ सेवादार ट्रस्टी पुजारी नई पीढ़ी के नए रंग ढंग में रंगे देखे जा रहे है और नया रंग भी ऐसा चढ़ा है कि मंदिर आरती पूजा स्थल के पास तक जीन्स टी शर्ट में खड़े होकर झाड़ा दे रहे है। ये कैसी नई परम्परा चलाई जा रही है,आने वाली पीढ़ी कहीं इसे ही धर्म ना समझ बैठे इस विषय पर हम सभी को चिंतन अवश्य करना होगा।

इस क्रम में पुरी मंदिर प्रशासन ने सेवकों के लिए ड्रेस कोड लागू किया

सभी पुजारियों को पारंपरिक कपड़े जैसे धोती, गमछा और पट्टा पहनना अनिवार्य होगा

इन सभी सेवकों को धोती, गमछा और पट्टा जैसे पारंपरिक कपड़े पहनने होंगे। शर्ट और पतलून जैसे आधुनिक कपड़ों में किसी को भी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।

देवस्थान के एक पुजारी ने कहा कि “हमारे पूर्वज सदियों से पारंपरिक कपड़ों में मंदिर में प्रवेश करते रहे हैं। लेकिन अब हम नई पीढ़ी में विचलन देख रहे हैं। हमने यह भी देखा है कि कुछ लोग हाफ-पैंट और यहां तक ​​कि जींस में भी मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं।

“हमें आधुनिक कपड़े पहनने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उन्हें मंदिर के बाहर पहना जाना चाहिए। इससे मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

पुरी मंदिर प्रशासन ने एक प्रस्ताव लिया है जिसमें जगन्नाथ मंदिर पुलिस और अन्य कर्मचारी जिन्हें गर्भगृह और उसके परिधि क्षेत्र में 10 मीटर के भीतर प्रवेश करने की आवश्यकता है, उन्हें पारंपरिक कपड़े पहनने होंगे।


पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने अपने सेवकों के लिए एक ड्रेस कोड लागू किया है। इन सभी सेवकों को धोती, गमछा और पट्टा जैसे पारंपरिक कपड़े पहनने होंगे। शर्ट और पतलून जैसे आधुनिक कपड़ों में किसी को भी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।

प्रस्ताव में मंदिर प्रबंधन का मानना है कि हमें आधुनिक कपड़े पहनने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उन्हें मंदिर के बाहर पहना जाना चाहिए। इससे मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।


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