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नेशनल डेस्क। तमिलनाडु में वक्फ बोर्ड ने बहुसंख्यक हिंदू जनसंख्या वाले एक पूरे गांव को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया है। बोर्ड ने तिरुचेंथुरई गांव को वक्फ संपत्ति के रूप में वर्गीकृत किया है, जो त्रिची के निकट है। गांव के लोगों के सामने यह एक गंभीर संकट पैदा हो गया है क्योंकि जिस जमीन पर सदियों से उनका कब्जा है, अब उस संपत्ति को वे वक्फ बोर्ड के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बगैर बेच भी नहीं सकते हैं। गांव के लोगों ने इस बारे में जिला प्रशासन को एक शिकायत पत्र भी भेजा है जिस पर कलेक्टर ने जांच के आदेश जारी किए हैं।

तिरुचेंथुरई तमिलनाडु में कावेरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित एक गांव है। यह मामला तब सामने आया जब राजगोपाल नाम के एक व्यक्ति ने अपनी 1 एकड़ 2 सेंट जमीन एक राजराजेश्वरी को बेचने का प्रयास किया। वह जब अपनी जमीन की बिक्री पंजीकृत कराने के लिए रजिस्ट्रार के कार्यालय में गया, तो उसे जानकर हैरानी हुई कि जमीन वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रजिस्ट्रार मुरली ने राजगोपाल को बताया कि वक्फ बोर्ड उस जमीन का मालिक है, जिस पर वह अपनी डीड दर्ज कराने आया है। वक्फ बोर्ड के निर्देश के अनुसार इस डीड को पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आपको चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए।

राजगोपाल ने पूछताछ की उसे 1992 में खरीदी गई अपनी जमीन को बेचने के लिए वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की आवश्यकता क्यों है, तो रजिस्ट्रार ने उसे 250 पन्नों का पत्र प्रदर्शित करते हुए कहा कि तिरुचेंथुरई गांव में किसी भी भूमि की बिक्री के लिए चेन्नई में वक्फ बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। उन्होंने विस्तार से बताया कि वक्फ बोर्ड ने विलेख विभाग को पत्र और दस्तावेज द्वारा सूचित किया है कि पूरा गांव उनका है। यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति गांव में भूमि के लिए एक डीड दर्ज करने के लिए आते हैं, उन्हें उनसे अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए। जब राजगोपाल ने उन्हें घटना के बारे में बताया तो पूरा गांव यह जानकर चकित रह गया कि उनकी जमीन उनकी नहीं है।


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