जयपुर। संवाद प्लस
छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध जयपुर शहर के बड़े मंदिरों में चढ़ने वाला भोग, भक्तों में बंटने वाला प्रसाद अब शुद्धता की कसौटी से होकर गुजरेगा।
प्रसाद बनाने वालों को जयपुर में प्रशिक्षण दिया जाना प्रस्तावित है। प्रशिक्षण के बाद में विभाग को ‘प्रोजेक्ट भोग’ के अंतर्गत नियमों की पालना में भोग व प्रसाद के लिए रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस प्रोसेस, दुकानदारों को शुद्धता का बोर्ड व अन्य मानकों पर ध्यान देना पड़ेगा।
प्रथम चरण में जयपुर के प्रमुख धार्मिक स्थलों के हैंडलर, भोग बनाने वाले कुक व प्रसाद बनाकर बेचने वाले दुकानदारों को क्वालिटी युक्त प्रसाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मंदिरों में भगवान को चढ़ने वाला भोग, भक्तों में बंटने वाला प्रसाद अब शुद्धता की कसौटी से होकर गुजरेगा। ये ही नहीं गुरुद्वारे के अंदर, मस्जिद और चर्च के बाहर बंटने वाला लंगर भी सुरक्षित व क्वालिटी से युक्त होगा।
फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु में चल रहे ‘प्रोजेक्ट भोग’ की तर्ज पर राज्य का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग प्रथम चरण में जयपुर के प्रमुख मंदिर, मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारे को इस योजना के दायरे में लाने जा रहा है। योजना के तहत धार्मिक स्थलों के बाहर प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों को फूड सेफ्टी एक्ट के तहत लाइसेंस लेना होगा तथा प्रसाद के पैकेट पर संपूर्ण जानकारी अंकित करनी होगी।
क्या है ‘प्रोजेक्ट भोग’❓
बीएचओजी यानी ब्लिसफुल हाइजेनिक ऑफरिंग टू गॉड के अंतर्गत मंदिरों में सुरक्षित एवं पोषक खाद्य उपलब्ध करवाने के लिए मंदिर कमेटी के सदस्यों व कर्मचारीयों को जानकारी दी जाएगी। अधिकारियों की ओर से रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस के बारे में जागरूक किया जाएगा। धार्मिक स्थलों के बाहर बिकने वाले प्रसाद का पंजीकरण करवाना होगा प्रसाद की पैकिंग पर इस्तेमाल कितने माह के लिए किया जा सकता है तथा कितने समय बाद यह खराब हो सकता है। इसके अलावा लाइसेंस नंबर लिखना अनिवार्य है। दुकानदार को सुनिश्चित करना होगा कि मंदिर का प्रसाद हाइजनिक तथा इसमे किसी तरह की मिलावट नहीं है। पैकेट पर लाइसेंस नंबर तथा भोजन बनाने वालों का साल मे एक बार मेडिकल कराना पड़ेगा।
इसी तरह लंगर बनाने वालों का मेडिकल टेस्ट होगा तथा नियमित लंगर लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। प्रसाद व भोग बनाने वालों को एसोसिएशन ऑफ फूड साइंटिस्ट एंड टेक्नोलोजिस्ट ऑफ इंडिया के सहयोग से प्रशिक्षण मिलेगा। प्रथम चरण सफल रहने पर खाटूश्यामजी, सालासर बालाजी, कैलादेवी, मेहंदीपुर बालाजी, नाथद्वारा, डिग्गी-कल्याण मंदिर, चारभुजा गढ़बोर, श्री महावीर जी, रणकपुर का जैन मंदिर, अजमेर की ख्वाजा साहब की दरगाह आदि धार्मिक स्थानों को सैकंड फेज में योजना से जोड़ने का प्रस्ताव है।