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संवाद प्लस।
सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर के गलता पीठ के प्रबंधन को लेकर हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया है। इससे राज्य सरकार को मंदिर के प्रशासन का नियंत्रण मिलेगा। पूर्व महंत अवधेशाचार्य ने इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
जयपुर : राजधानी जयपुर के गलता पीठ के प्रबंधन को लेकर पूर्व महंत अवधेशाचार्य को बड़ा झटका लगा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। इसमें गलता पीठ की निगरानी राजस्थान सरकार ही करेगी। इसके तहत अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी गलता पीठ का प्रबंधन और देखभाल करने की अनुमति मिल गई है।
हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व महंत ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी
बता दें कि बीते दिनों गलता पीठ के प्रबंधन को लेकर विवाद हुआ, वहां के पूर्व महंत अवधेशाचार्य को गलता पीठ से हटा दिया गया। इसको लेकर हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। इसमें एकल न्यायाधीश ने 22 जुलाई को राज्य सरकार को मंदिर के प्रशासन का नियंत्रण लेने की अनुमति दे दी थी। इसको लेकर महंत अवधेशाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश को चुनौती देकर अपील की।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सहीं ठहराया
हाईकोर्ट के बीते 22 जुलाई को दिए गए आदेश को लेकर पूर्व महंत ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने पूर्व महंत की याचिका का विरोध किया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में तर्क देते हुए कहा कि सरकार के देवस्थान विभाग ने पहले ही मंदिर के प्रशासन की जिम्मेदारी समान ली है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रभावी ढंग से धार्मिक गतिविधियों का प्रबंध कर रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताते हुए हाई कोर्ट के आदेश को जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि यह आदेश गलता देवी मंदिर के प्रशासन में राजस्थान सरकार की भूमिका को सुदृढ़ करता है। इस आदेश से सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल के संरक्षण और उचित प्रबंधन को प्रतियोगिता दी गई थी।

गलता पीठ को लेकर यह हुआ विवाद
जयपुर के गलता पीठ तीर्थ के महंत अवधेशाचार्य की नियुक्ति को राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट की जयपुर बेंच के जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने अवधेशाचार्य और अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए यह फैसला सुनाया था। एकलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह गलता पीठ तीर्थ को टेक ओवर करे और वर्ष 1943 की स्थिति को बहाल करे। वर्ष 1943 में जयपुर स्टेट की ओर से अवधेशाचार्य के पिता रामोदाचार्य को महंत नियुक्त किया था। उसमें उत्तराधिकार का प्रावधान नहीं था। ऐसे में तत्कालीन महंत के पुत्र का स्वयं महंत बनना वैध नहीं है। अवधेशाचार्य की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने पूरी तरह से अवैध माना है। ऐसे में अवधेशाचार्य की गद्दी अब छिन गई है।


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