Share this news

सोना चांदी और नकदी पकड़ने का क्या तुक ?

चुनाव आयोग तुरंत ध्यान दें।

संवाद प्लस।

निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने जो मापदंड निर्धारित किए हैं उनमें राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों और नेताओं को प्रलोभन देने पर रोक लगाई है। इस रोक की मंशा यह है कि उम्मीदवार और उसके समर्थक मतदाताओं को नकद राशि न दे सके। इसके लिए पुलिस को यह अधिकार दिया गया है कि वह राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के वाहनों की जांच पड़ताल करे और बड़ी मात्रा में नकदी हो उसे आयकर विभाग में जमा करवाएं। चुनाव आयोग की मंशा यह नहीं है कि धरपकड़ के नाम पर व्यापारियों को परेशान किया जाए। राजस्थान में पुलिस ने व्यापारियों पर जो धरपकड़ की है उससे बाजार में कारोबार ठप हो गया है। जो सर्राफा व्यापारी रोजाना अपने घर से दुकान तक सोना चांदी और जेवरात ले जाते हैं उन्हें भी चुनाव आयोग के निर्देशें का हवाल देकर पुलिस पकड़ रही है। प्रदेश में अब तक करोड़ों रुपए का सोना चांदी जब्त किया जा चुका है। बाजार में लाखों रुपए की नगदी इधर उधर होती है। पुलिस अब दो लाख रुपए तक की नगदी भी जब्त कर रही है। इन दिनों त्योहारी सीजन के साथ साथ शादी ब्याह भी है। ऐसे में एक परिवार द्वारा पांच दस लाख रुपए की खरीद करना सामान्य बात है, लेकिन पुलिस के डर की वजह से लोग नगदी लेकर अपने घरों से नहीं निकल रहे। इसका परिणाम यह हुआ है कि बाजार में कारोबार ठप हो गया है। पुलिस किस तरह से धरपकड़ करती है यह जगजाहिर है। व्यापारियों के लिए दीपावली काली हो रही है तो पुलिस के लिए दिवाली रंगीन हो गई है।
व्यापार जगत में भय और दहशत का माहौल
हाल ही में अजमेर के पीसांगन में जिस सर्राफा कारोबारी को पकड़ा गया उसने अपने तमाम दस्तावेज बताए, लेकिन फिर भी पुलिस ने रातभर थाने में बैठाए रखा। सुबह पुलिस के चंगुल से व्यापारी कैसे निकला यह पीसांगन पुलिस स्टेशन के अधिकारी ही बता सकते हैं। ऐसी घटनाएं आम है। सभी जिलों के व्यापारी अपने अपने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सवाल सोना चांदी और जेवरात की जब्ती का भी है। क्या कोई उम्मीदवार मतदाताओं से सोने चांदी के जेवरात देगा? चुनाव आयोग में बैठे अधिकारी माने या नहीं, लेकिन राजस्थान में अभी तो दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने उम्मीदवारी भी घोषित नहीं किए हैं। ऐसे में मतदाताओं को प्रलोभन देने का सवाल ही नहीं उठता। बेवजह की धरपकड़ से व्यापारी वर्ग और आम लोगों को परेशानी हो रही है। अभी जो लोग पकड़े जा रहे हैं, उनका चुनाव से कोई सरोकार नहीं है। बाजार में यह सामान्य प्रक्रिया है। चुनाव आयोग को यह भी समझना चाहिए कि जीएसटी लागू होने के बाद कारोबार में बहुत पारदर्शिता आई है। वैसे भी कर चोरी पकड़ना चुनाव आयोग का काम नहीं है। चुनाव आयोग का काम निष्पक्ष चुनाव करवाना है। अच्छा हो कि केंद्रीय चुनाव आयोग राजस्थान में पुलिस की धरपकड़ को तत्काल प्रभाव से बंद करवाए। पुलिस को जो अधिकार दिए गए हैं उसका दुरुपयोग हो रहा है।


Share this news