संवाद प्लस।
इरोड वेंकट नायकर रामासामी (17 सितम्बर, 1879-24 दिसम्बर, 1973) जिन्हें पेरियार के नाम से अधिक जाना जाता हैं, बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय राजनेता थे। उनकी उपाधि पेरियार, दरअसल तमिल में सम्मानित व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। वे रुढ़िवादी हिन्दुत्व के प्रबल विरोधी थे। पेरियार की मूर्तियों के नीचे लिखा था- ‘ईश्वर नहीं है और ईश्वर बिलकुल नहीं है। जिस ने ईश्वर को रचा वह बेवकूफ है, जो ईश्वर का प्रचार करता है, वह दुष्ट है और जो ईश्वर की पूजा करता है वह बर्बर है।’
इस तरह के कड़े शब्दों में ईश्वर पर सवाल उठाने के कारण पेरियार को रुढ़िवादी भारतीय समाज ने लगातार नकारने की कोशिश की है।
आईये देखते हैं! महान तर्कशील, नास्तिक और समाज-सुधारक पेरियार के द्वारा ईश्वर से क्या क्या सवाल किये गए। हालाँकि ये सवाल कहने को तो ईश्वर को संबोधित हैं, पर वास्तव में सामाजिक कुरीतियों पर समाज से अप्रत्यक्ष रूप से पूछा गया है। यहां लोगो का तर्क भी सही है कि “ईश्वर सत्य है” और वास्तव में है
- क्या तुम कायर हो जो हमेशा छिपे रहते हो, कभी किसी के सामने नहीं आते●
- क्या तुम खुशामद परस्त हो जो लोगों से दिन रात पूजा, अर्चना करवाते हो●
- क्या तुम हमेशा भूखे रहते हो जो लोगों से मिठाई, दूध, घी आदि लेते रहते हो ●
- क्या तुम मांसाहारी हो जो लोगों से निर्बल पशुओं की बलि मांगते हो●
- क्या तुम सोने के व्यापारी हो जो मंदिरों में लाखों टन सोना दबाये बैठे हो●
- क्या तुम व्यभिचारी हो जो मंदिरों में देवदासियां रखते हो ●
- क्या तुम कमजोर हो जो हर रोज होने वाले बलात्कारों को नही रोक पाते●
- क्या तुम मूर्ख हो जो विश्व के देशों में गरीबी-भुखमरी होते हुए भी अरबों रुपयों का अन्न, दूध,घी, तेल बिना खाए ही नदी नालों में बहा देते हो●
- क्या तुम बहरे हो जो बेवजह मरते हुए आदमी, बलात्कार होती हुयी मासूमों की आवाज नहीं सुन पाते●
- क्या तुम अंधे हो जो रोज अपराध होते हुए नहीं देख पाते●
- क्या तुम आतंकवादियों से मिले हुए हो जो रोज धर्म के नाम पर लाखों लोगों को मरवाते रहते हो●
- क्या तुम आतंकवादी हो जो ये चाहते हो कि लोग तुमसे डरकर रहें●
- क्या तुम गूंगे हो जो एक शब्द नहीं बोल पाते लेकिन करोड़ों लोग तुमसे लाखों सवाल पूछते हैं●
- क्या तुम भ्रष्टाचारी हो जो गरीबों को कभी कुछ नहीं देते जबकि गरीब पशुवत काम करके कमाये गये पैसे का कतरा-कतरा तुम्हारे ऊपर न्यौछावर कर देते हैं●
- क्या तुम मुर्ख हो कि हम जैसे नास्तिकों को पैदा किया जो तुम्हे खरी खोटी सुनाते रहते हैं और तुम्हारे अस्तित्व को ही नकारते हैं●