संवाद प्लस।
कोटा। कर्मयोगी सेवा संस्थान के संयोजन में आयोजित चार दिवसीय मकर सक्रांति महोत्सव के अंतर्गत जिला कलेक्ट्रेट पर भिक्षुक मुक्त कोटा अभियान की शुरुआत की गई। इस दौरान जिला कलेक्टर ओ पी बुनकर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त निर्देशक एवं कोटा जिला प्रभारी लखपत मीणा एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक ओमप्रकाश तोषनीवाल उपस्थित रहे।
भिक्षुकों को उपलब्ध कराए रोजगार के संसाधन
अभियान के अंतर्गत स्वरोजगार से जुड़ने के इच्छुक तीन दिव्यांग भिक्षुकों को कर्मयोगी सेवा संस्थान के सहयोग से रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराए गए। अतिथियों ने दिव्यांगों को माला पहनाकर स्वागत भी किया। 45 वर्षीय दिव्यांग मोहम्मद इकबाल, 25 वर्षीय निशा केवट 27 वर्षीय शंभू सिंह मराठा दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। वे बचपन से ही कोटा शहर में भीख मांग कर गुजारा कर रहे हैं। किशोर सागर तालाब के किनारे फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ टापरी में ही सोते हैं।कर्म योगी सेवा संस्थान को कोटा शहर में विभिन्न क्षेत्रों में भीख मांग रहे भिखारियों को चिन्हित करने लिए अधिकृत किया है। इसके लिए नगर निगम कोटा उत्तर नयापुरा बस स्टैंड स्थित रेन बसेरे में भिखारियों को प्रशिक्षण देकर रोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए उपलब्ध करवाने के लिए निर्देशित किया है। साथ ही निगम के द्वारा उनके भोजन की व्यवस्था भी इंदिरा रसोई के माध्यम से निर्धारित की गई है।
इसी के तहत संस्थान के अध्यक्ष राजाराम जैन कर्मयोगी ने जिला प्रशासन के निर्देशानुसार प्रथम चरण में भीख मांग कर गुजारा कर रहे दिव्यांगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से कोटा में भीख मांग कर गुजारा करने वाले परिवारों से संपर्क करते हुए भिक्षावृत्ति से दूर होने एवं स्वरोजगार से जुड़कर सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया था। जिसके फलस्वरूप तीनों विकलांगों ने रोजगार से जुड़ने की सहमति प्रदान की थी।
जिला प्रशासन द्वारा तीनों विकलांगों को तिपहिया रिक्शा उपलब्ध करवाया गया। जिस पर कर्मयोगी द्वारा प्रत्येक तिपहिया रिक्शे पर पांच हजार रुपये की नमकीन बिस्किट पाउच आदि सामग्री उपलब्ध करवाते हुए रोजगार प्रारंभ करवाया गया इस अवसर पर जिला कलेक्ट्रेट में संस्थान की संयोजिका अलका दुलारी जैन कर्मयोगी संजय कुमार विजय जैन जितेंद्र जैन मनोज जैन आदिनाथ कोटा उत्तर अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा लक्ष्मी नारायण गर्ग उपस्थित रहे।
लाखों रुपये वार्षिकोत्सव के नाम से बेतुके गायकों पर बर्बाद करने से ज्यादा बेहतर है…अपने समाज…अपने शहर,गांव के साथ खाटू में भी ऐसा अभियान चलाया जा सकता है।
जिससे इंसानियत का भला हो…चिंतन अवश्य कीजिये
¶क्या सभी देवस्थानों पर ऐसा संभव है!
¶आओ मिलकर राजस्थान के देवस्थानों को बनाएं भिक्षुक मुक्त देव भूमि ।