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बाबा श्याम के भजन गायकों की एक बात किसी के समझ में कभी नहीं आई कि…
ये गायक कलाकार ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक एक भजन संध्याओं के लाखों रुपये मिलते हैं❓

कई आयोजक तथाकथित भजन गायिकाओं व महिला डांसरों के साथ रंग रैलियां मानते पकड़े गए है!

कई भजन कलाकारों ने अपने परिवार यथा बीवी बच्चे या पतियों को छोड़ दिया है!

कई कलाकार शराब के साथ अब ड्रग्स तक कि लत के शिकार हो रहे है!

कई कलाकारों का आचरण अब गिरता जा रहा है,कुछ कलाकार तो भजन मंच तक का राजनीति करण कर रहे है।

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जिस देश में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों , डाक्टरों , इंजीनियरों , प्राध्यापकों , अधिकारियों इत्यादि को प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये मिलता हो,उस देश में आस्था के नाम पर ये कैसी लूट खसोट मची है !

एक भजन कलाकार प्रतिवर्ष 2 से 5 करोड़ रुपये केवल भाषण बाजी -फिल्मी धुनों-दूसरों के लिखे भजनों व पारम्परिक भजनों को बेतुके प्रस्तुतिकरण के साथ कमा लेता है। आखिर ऐसा क्या करता है वो❓

जरा सोचिए श्याम जगत या खाटू के विकास में क्या योगदान है इनका

आखिर कलाकार ऐसा क्या करता है कि वह मात्र एक वर्ष में इतना पैसा कमा लेता है जितना देश के अध्यापक विद्वान आदि को शायद 100 वर्ष लग जाएं❗

आज जिन तीन क्षेत्रों ने देश की नई पीढ़ी को मोह रखा है, वह है―सिनेमा,क्रिकेट और भक्ति संगीत।
इन तीनों क्षेत्रों से सम्बन्धित लोगों की कमाई और प्रतिष्ठा सभी सीमाओं के पार है।

यही तीनों क्षेत्र आधुनिक युवाओं के आदर्श हैं,
जबकि वर्तमान में इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगे रहे है। और ऐसा होना देश और समाज के लिए व्यर्थ ही है।
भजन भक्ति में अब ड्रग्स शराब व वेश्यावृत्ति जैसे विषयों का भी प्रवेश हो चुका है।
इन सबके पीछे मुख्य कारक धन ही है और यह धन उन तक हम ही पहुँचाते हैं। हम ही अपना धन फूँककर अपनी हानि कर रहे हैं। मूर्खता की पराकाष्ठा है ये।

■ 30-40 वर्ष पहले तक भजन कलाकारों को
सामान्य पारश्रमिक मिला करता था।
धीरे-धीरे ये हमें लूटने लगे
और हम शौक से खुशी-खुशी लुटते रहे।
मंडल व संस्थाओं के माध्यम से हम इनके चंगुल में फँस कर अपने श्याम जगत का, अपने समाज का भविष्य
बर्बाद कर रहे है।

■ 20-30 वर्ष पहले तक भजन भक्ति आयोजन इतने फूहड़ नहीं होते थे। भजन गायक और आयोजक इतने अहंकारी नहीं थे―आज तो ये हमारे भगवान बने बैठे हैं!

अब आवश्यकता है इनको सिर पर से उठाकर पटक देने की – ताकि इन्हें अपनी हैसियत पता चल सके।

इस क्रम में इस तरह की बेतुकी भजन संध्याओं के आयोजन व फिजूल खर्चो की वजह से स्थानीय मंदिर, पुजारियों व भगवान के उत्सवों हेतु धन की कमी देखी जाती है। यदि यही धर्मार्थ चलते फिरते ईश्वर स्वरूप गौ माता के लिए किया जाए तो ज्यादा फल दाई रहेगा।

मेरा दृढ़ विचार है कि जिस श्याम जगत के आदर्श श्रेष्ठ पत्रकार बुद्धिजीवी,सेवा भावी समर्पित व्यक्ति सुरों के सरताज श्रेष्ठ कलाकार आदि न होकर बेसुरें गायक कलाकार व चाटुकार संस्थाएं होंगी तब तक श्याम जगत की उन्नत्ति कभी नहीं होगी। सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक रूप से श्याम जगत हमेशा पिछड़ा ही रहेगा।

जहां अनावश्यक और अप्रासंगिक गायन/भाषण का वर्चस्व बढ़ता रहेगा,तब तब भक्ति संगीत विपरीत दिशा की ओर ही बढ़ेगा। सच्चे ईमानदार गायक हाशिये पर चले जाएँगे व श्रेष्ठ कलाकार कठिन जीवन जीने को विवश होंगे। मेरा ये भी मानना है कि सभी क्षेत्रों में कुछ अच्छे व्यक्ति भी होते हैं। उनका व्यक्तित्व मेरे लिए हमेशा सम्माननीय है। आवश्यकता है हम प्रतिभाशाली,ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, समाजसेवी, जुझारू, श्याम प्रेमियों रचनाकारों,संगीत के जानकार भजन गायकों आदि को अपना आदर्श बनाएं।

अब जागना ही होगा साथ ही भाषण बाज नाचने-गाने वाले, ड्रगिस्ट, लम्पट कलाकारों का बॉयकॉट करने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी हमें।

यदि हम ऐसा कर सकें तो ठीक, अन्यथा श्याम जगत की अधोगति भी तय है। आप स्वयं तय करो की श्याम जगत की सेवा व विकास में इनका योगदान क्या है हमारे बच्चे मूर्खों की तरह इनको आइडियल बनाए हुए है।
अतः बाबा श्याम के परिवार हेतु चिंतन अवश्य करें।


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