संवाद प्लस।
वैसे तो घर से निकलते ही आपके पास आपका वैधानिक पहचान पत्र पॉकेट में होना ही चाहिए। ताकि आप स्वयं सुरक्षित रहें।
इस क्रम में यदि आप अपने गतंव्य से किसी अन्य स्थान यथा धार्मिक पर्यटन या किसी कार्य हेतु कहीं जा रहे है और वहां किसी होटल-लाज-धर्मशाला में ठहरना चाहते है तो भी आपको पहले अपना पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य है।
परंतु पिछले दिनों इस संदर्भ का एक समाचार सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हुआ। जिसमें बताया गया कि आपके द्वारा कहीं पर भी पहचान के नाम पर दी गई फोटो स्टेट का डाटा बडी कंपनियों को बेचा जा रहा है अर्थात ये डाटा अब कितना सुरक्षित रह गया है ये चिंतन का विषय है!
इस बाबत संवाद प्लस टीम ने कुछ धार्मिक स्थलों का दौरा किया और हकीकत जाननी चाही तब ये तथ्य सामने आए…
¶ 90 प्रतिशत व्यवसायिक संस्थाओं ने इस तरह का डाटा,रूम खाली होने के बाद डिस्ट्रॉय कर दिया और सफाई में वो रजिस्टर दिखाए जिनमें यात्री का नाम पता व फोन नंबर दर्ज किए जाते है…कुछ का ये भी कहना था कि इस तरह के रजिस्टर हमारे द्वारा कम से कम तीन वर्षों तक संजोय जाते है ताकि किसी भी आवश्यक जानकारी का पिछला रिकॉर्ड निकाला जा सके।
¶ डाटा बेचान के प्रश्न पर अधिकतर संस्थाओं ने इस प्रश्न को सिरे से खारिज कर दिया।
¶ कुछ का कहना था की जब भी स्थानीय प्रशासन पुलिस थाने आदि को किसी आशांकित कार्यवाही हेतु डाटा की आवश्यकता पड़ती है तो उन्हें अवश्य सौंप दिया जाता है…किसी कंपनी या मार्केटिंग कंपनी को बेचा नहीं जाता।
ऐसा करने से आप हो सकते है सुरक्षित
हमने इस संदर्भ में खाटू के एडवोकेट नीरज कुमार से बातचीत की, उनका कहना था कि “यदि ID पर हस्ताक्षर करने आवश्यक हो तो नीचे तारीख अवश्य डाले व ये भी लिखे की अमुक ID इस बाबत दी गई है। साथ ही परिस्थिति देखकर उस ID को क्रॉस भी कर सकते है ताकि आपकी पहचान ID का कोई भी अन्य व्यक्ति दुरुपयोग ना कर सके।”
इससे ये तो साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर ID पहचान पत्र को लेकर जितना भ्रम फैलाया जा रहा है वैसा हकीकत में है नहीं। हालांकि कुछ लोग इस व्यवस्था का गलत लाभ भी उठा सकते है। अतः सजग रहे सुरक्षित रहे।